प्रभुनाथ कॉलेज परसा ( सारण )

(A CONSTITUENT UNIT OF JAI PRAKASH UNIVERSITY)

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प्रभुनाथ महाविद्यालय के बारे में .....

प्रभुनाथ महाविद्यालय ग्रामीण पृष्ठभूमि एवं प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद जन्म काल से लेकर आज तक यहां के निरह जनता की वाणी प्रदान करता आ रहा है हमारे छात्र वर्षों से इस महाविद्यालय में ज्ञान की अमर ज्योति लेकर ज्ञान विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में आगे बढ़ता जा रहा है। यहां की अमर कृति शांतिनिकेतन की गरिमामय वातावरण की आभा प्रस्तुत करने वाले तथा आम्रवाटिक में सघन छाया के मध्य अवस्थित इस ग्रामीण महाविद्यालय का जन्म कुछ उत्साही शिक्षा प्रेमी सज्जनों के सहयोग से 1958 के जुलाई माह में प्रसिद्ध नारायणी की उपधारा बॉधा नदी के उतर किनारे स्थित परसा उच्च विद्यालय में हुआ। तत्कालीन सांसद पंडित द्वारिका नाथ तिवारी और क्षेत्रीय विधायक स्वo दरोगा प्रसाद राय की छत्र-छाया में इसका पालन पोषण हुआ। 1956 में पोखरपुर ग्राम के श्री वीरेंद्र सिंह तथा मिर्जापुर के महंत श्री जगत पर्वत ने इसके लिए आवश्यक भूमि प्रदान की। नया गांव के स्व0 जगदम सिंह तथा परसा के उत्साही जनता के सहयोग से चंदा एकत्र कर बिहार विश्वविद्यालय से संबद्धता के लिए आवश्यक राशि जमा कराई गई। देखते-देखते ईट ,खर ,बांस ,बल्ला आदि इकठा कर नौजवानों ने महाविद्यालय का लघु संस्करण तैयार कर दिया।

महाविद्यालय का इतिहास

प्रभुनाथ महाविद्यालय ग्रामीण पृष्ठभूमि एवं प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद जन्म काल से लेकर आज तक यहां के निरह जनता की वाणी प्रदान करता आ रहा है हमारे छात्र वर्षों से इस महाविद्यालय में ज्ञान की अमर ज्योति लेकर ज्ञान विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में आगे बढ़ते जा रहे हैं । यहां की अमर कृति शांतिनिकेतन की गरिमामय वातावरण की आभा प्रस्तुत करने वाले तथा आम्रवाटिक में सघन छाया के मध्य अवस्थित इस ग्रामीण महाविद्यालय का जन्म कुछ उत्साही शिक्षा प्रेमी सज्जनों के सहयोग से 1958 के जुलाई माह में प्रसिद्ध नारायणी की उपधारा बॉधा नदी के उतर किनारे स्थित परसा उच्च विद्यालय में हुआ। तत्कालीन सांसद पंडित द्वारिका नाथ तिवारी और क्षेत्रीय विधायक स्वo दरोगा प्रसाद राय की छत्र-छाया में इसका पालन पोषण हुआ।

1956 में पोखरपुर ग्राम के श्री वीरेंद्र सिंह तथा मिर्जापुर के महंत श्री जगत पर्वत ने इसके लिए आवश्यक भूमि प्रदान की। नया गांव के स्व0 जगदम सिंह तथा परसा के उत्साही जनता के सहयोग से चंदा एकत्र कर बिहार विश्वविद्यालय से संबद्धता के लिए आवश्यक राशि जमा कराई गई। देखते-देखते ईट ,खर ,बांस ,बल्ला आदि इकठ्ठा कर नौजवानों ने महाविद्यालय का लघु संस्करण तैयार कर दिया। सम्बन्द्धन प्राप्ति के बाद इसका नामकरण जनता कॉलेज हुआ, परंतु किसी कारणवश, कुछ वर्षों बाद इसका नामांकन स्वर्गीय प्रभुनाथ सिंह (मंत्री जी )के नाम पर प्रभु नाथ महाविद्यालय हुआ। हमारे दूरदर्शी संरक्षक दरोगा बाबू ने तत्कालीन कुलपति श्री विश्व मोहन कुमार सिन्हा के सुझाव पर बेतिया कॉलेज के गणित विभागाध्यक्ष एवं सीनेट के सदस्य श्री गणेश महतो को प्रधानाचार्य नियुक्त किया गया । प्रधानाचार्य के आगमन के बाद महाविद्यालय में नई रौनक आ गई। शिक्षकों का स्थायी करण हुआ, स्नातक स्तर पर विज्ञान की पढ़ाई प्रारंभ हुई ,कला और विज्ञान के विभिन्न विषयों में प्रतिष्ठा की पढ़ाई को मान्यता मिली। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग तथा महाविद्यालय की सम्मानित आर्थिक सहयोग से विज्ञान भवन ,छात्रावास ,शिक्षक आवास आदि का निर्माण हुआ पुस्तकालय समृद्ध हुआ और शैक्षिक वातावरण की पवित्रता के कारण छात्रों की संख्या 2000 पार कर गयी। महाविद्यालय के अनेक छात्र प्रति वर्ष इंजीनियरिंग और मेडिकल स्पर्धाओं में महत्वपूर्ण स्थान पाने लगे ।शैक्षणिक माहौल का वातावरण बना। छात्रों की संख्या में वृद्धि हुई । शिक्षकों और छात्रों का कार्य सुचारू रूप से होने लगा। आज महाविद्यालय उनकी ख्याति की नई ऊंचाइयों को स्पर्श कर रहा है।

(*प्राचार्य
डॉ पुष्प राज गौतम
पीएन कॉलेज परसा सारण*

अभिभावकों को संदेश

हमारा महाविद्यालय जयप्रकाश विश्वविद्यालय में चर्चा का विषय रहता है यदि आप सभी अभिभावकों का सहयोग मिलता रहा , तो यह महाविद्यालय लोकनायक जयप्रकाश नारायण के सपनों को पूरा करेगा, महाविद्यालय में नवनियुक्त सम्मानित शिक्षक विद्वान शैक्षणिक कार्यों में परिपूर्ण एवं उनकी उर्जा से महाविद्यालय सुचारू रूप से चल रहा है हमारे शिक्षकेतर कर्मी भी अपने कर्तव्यों का निर्वाह विवेक पूर्वक करते आ रहे हैं महाविद्यालय में सेमिनार कार्यशाला राष्ट्रीय सेवा योजना एवं खेलकूद परिषद के तत्वाधान में छात्रों की शारीरिक विकास हेतु विभिन्न खेलकूद तथा फुटबॉल क्रिकेट आदि का आयोजन किया जाता है महाविद्यालय में एक पुस्तकालय भवन है इसमें छात्रों को समय से पढ़ने हेतु पुस्तकें दी जाती है पुस्तकालय भवन में वाचनालय की व्यवस्था है जिसमें एक साथ 30 छात्र बैठकर अध्ययन कर सकते हैं सुदूर देहाती तथा प्रकृति की गोद में स्थित महाविद्यालय अपनी ऐतिहासिक एवं धार्मिक मूल्यों का प्रतिनिधित्व करता है अभिभावक नागरिकों एवं प्रशासन के सहयोग इसी तरह मिलता रहा ,तो वह दिन दूर नहीं जब यह महाविद्यालय जयप्रकाश विश्वविद्यालय के शिक्षा क्षितिज पर उदित होगा महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं परसा की धरती की तमाम अभिभावकों नागरिकों यह बताना चाहता हूं- जाति धर्म वर्ग से ऊपर उठकर अच्छे विचारों को अपनाकर अच्छा इंसान बने इंसानियत सीखें और प्रदूषित वातावरण ने सामाजिक सामंजस्य का समरसता का वातावरण बनाएं प्राचीन भारत मैं शिक्षा आश्रमों में होती थी गुरु के आश्रम जंगलों में हुआ करता था वही छात्र गुरु आश्रम में रहते थे भोजन की सामग्रियां और उसके पकाने की व्यवस्था स्वयं भिक्षाटन द्वारा छात्र किया करते थे सुना है फ्रांस में विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों की शिक्षा व्यवस्था की परिकल्पना समुद्र और नदियों की गई थी पढ़ने वाले छात्रों का नामांकन कर जहाज में ले जाते थे और जहाज पर ही पढ़ाई खेलकूद और सोने एवं खाने की व्यवस्था होती थी उसकी कोर्स समाप्ति के बाद परीक्षा होती थी एवं परीक्षा फल के निकलने के बाद फिर जहाज जहां से जाता था वही पहुंचा दिया जाता था छात्र अपने अपने घर चले जाते थे हमारा महाविद्यालय दरोगा बाबू सपना था रविंद्र नाथ ठाकुर ने शांतिनिकेतन की स्थापना भी इसी परिकल्पना से की थी- वह भी शहर और बाजार की चहल पहल और हंगामे से दूर हुआ था मालवीय जी ने जब हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना की थी- वह भी शहर से दूर था शिक्षकों के अभाव शहर से काफी दूर बहुत सारी भौतिक साधनों की कमियों के बावजूद हमारे महाविद्यालय का परीक्षा फल संतोष देने वाला है हमारे छात्र और जगहों की अपेक्षा ज्यादा ईमानदार परिश्रमी और अनुशासित है ,इसी का परिणाम इस साल का परीक्षा फल है धन्यवाद

शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को संदेश

थियों समय परिवर्तनशील है जो कल नहीं था वह आज है और आज वर्तमान है वह आने वाला कल में भूतकाल में परिवर्तित हो जाएगा अतः हमको वर्तमान में रहकर अतीत से शिक्षा ग्रहण करके भविष्य की परिकल्पना करनी होगी

मेरे सहयोगी वृंद सभी शिक्षक एवं शिक्षकेतर कर्मचारी आपका स्नेह एवं सहयोग पाकर ही महाविद्यालय का विकास संभव है मैं महाविद्यालय के प्रधानाचार्य की हैसियत से महाविद्यालय परिवार कि शुभकामना के लिए ईश्वर से प्रार्थना करता हूं मुझे इस बात की प्रसन्नता है सभी शिक्षक एवं कर्मचारी अपने कार्य के प्रति सजग एवं जागरूक है शिक्षक अपने वर्ग के प्रति निष्ठावान है कार्यालय की सभी लोग निश्चित समय पर अपना कार्य संपादित करते हैं शिक्षकों का पूर्णतया अभाव है फिर भी छात्र हित का ध्यान रखते हुए सभी शिक्षक पाठ्यक्रम को निश्चित अवधि में पूरा कर देते हैं शिक्षकेतर कर्मचारी का भी अभाव है फिर भी सभी लोग प्रेम पूर्ण सदभाव के द्वारा एक दूसरे को सहयोग करते हैं मैं सभी शिक्षक एवं शिक्षकेतर कर्मचारियों से महाविद्यालय के विकास के लिए कार्य करने का नम्र निवेदन करता हूं मुझे आशा है पूर्ण विश्वास है कि आपके सहयोग से महाविद्यालय का सर्वांगीण विकास संभव होगा इन्हीं शुभकामनाओं के साथ
आपका

प्राचार्य
डॉ पुष्प राज गौतम
पी एन कॉलेज परसा सारण

छात्र-छात्राओं को संदेश

हे महाविद्यालय के नव युवक अपने महान कर्तव्यों को पहचानो ईश्वर ने तुम्हें कृपा दृष्टि दी है बड़े तुमसे उम्मीद रखते है बच्चों सारण प्रमंडल संस्कृति और राजनीति का संगम स्थल रहा है एक और महान स्वतंत्रता सेनानी प्रख्यात कानून विद और भारत के प्रथम राष्ट्रपति का डॉ राजेंद्र प्रसाद की कर्मभूमि होने का सौभाग्य प्राप्त है जयप्रकाश नारायण जैसे क्रांतिकारी और विचार की जन्मभूमि होने का सौभाग्य प्राप्त है यह वही धरती है जहां राहुल जी जैसे महान पंडित की कर्मभूमि होने का गौरव प्राप्त है इसी विश्वविद्यालय से मनोहर प्रसाद ,शिवपूजन सहाय जैसे हिंदी के के विद्वानों ने राजेंद्र कॉलेज में अध्ययन किया था जिसकी साहित्य के अवदानों से पूरा भारत को रोशनी मिलती है यही भोजपुरी के नाटककार और कवि भिखारी ठाकुर के अवदान उसे पूरा भारत परिचित है इस महान धरती पर भटके हुए युवकों की कुंठा और तनाव को दूर करने के लिए वह आवश्यक है कि उसके नैतिक मूल्यों को जागृत करने के लिए संचालित करने का मैंने सोचा बिहार में समाज में नैतिक मूल्य जीवित है उसमें बस उर्जा का समावेश करना बाकी है जब देश में हर व्यक्ति नैतिकता से परिपूर्ण होगा चारों ओर शांति एवं प्रसन्नता का माहौल होगा अध्यात्म जीवन की एक-एक ऐसी सीढ़ी है जिस पर चढ़कर प्रत्येक व्यक्ति अपनी मेहनत और कर्मठता से मनचाही सफलता प्राप्त कर सकता है

इस दुनिया में हर सफलता की शुरुआत एक सृजनशील विचार से होती है सबसे पहले विचार आता है फिर उसमें विश्वास की ताकत डाली जाती है विचार को फलीभूत करने के साधन निर्मित होते हैं और अंततः विचार भौतिक आकार ले लेता है ऐसा माना जाता है विचार ही हमारी असली दौलत है जो कभी खत में विचारों में असीम शक्ति छिपी होती है विचारों से आप अपने परिस्थितियां बदल सकते हैं समस्याएं सुलझा सकते हैं दुनिया की हर चीज पहले इंसान की कल्पनाओं में जन्म लेती है आपकी सफलता का आधार आपका नजरिया है यदि आपका नजरिया आशावादी है तो जीवन के सभी रास्ते आपके लिए खुले हैं हमेशा अपनी आशावादी सोच बनाएं बड़ा सोच और स्वयं पर विश्वास करें अपना नजरिया बदल कर हम अपनी वर्तमान परिस्थितियों में मनचाहा बदलाव ला सकते हैं यदि हम अपने बारे में एक सकारात्मक छवि बना ले तो इसमें कोई आश्चर्य नहीं होगा आप ठीक वैसा ही जीवन जीना आरंभ कर देंगे जैसा कि आप जीना चाहते है

वास्तव में हमारी सोच का एक बड़ा सिद्धांत है विस्तार आप जिस विचार पर अपना ध्यान केंद्रित करेंगे वह फैलता जाएगा बढ़ता चला जाएगा मन में उठा कोई विचार या ख्याल नकारात्मक हो सकता है लेकिन उसके प्रति आपकी प्रतिक्रिया सकारात्मक होनी चाहिए अगर आप सोचना शुरु कर देंगे जीवन में सकारात्मक शक्तियां सक्रिय हो उठेगी

बहुत-से दार्शनिकों का मानना है कि सृष्टि का आधार ही विचार है मनुष्य के पास उपलब्ध प्रत्येक वस्तु का जन्म विचार की कोख से ही होता है विचारों से ही मानव जाति विकसित होती है आई है

आत्मविश्वास को विकसित करना भी एक कला है जिसे आसानी से सीखा जा सकता है हम जैसा सोचते हैं या विचार करते हैं हमारे मन में ठीक वैसा ही भाव पैदा होता है

जीवन जीना अपने आप में एक कला है आशावादी सोच एक अच्छे व्यक्तित्व का निर्माण करती है इस कला का आधार है आशाओं से भरा आपका नजरिया यही नजरिया आपको जिंदगी की हर मंजिल तक पहुंचा सकता है प्रसिद्ध मानव वैज्ञानिक विलियम जेम्स- का कहना है “केवल अपना नजरिया बदल कर कोई भी व्यक्ति अपना जीवन बदल सकता है “विश्वास ही आपका एकमात्र मित्र है विश्वास ही आपकी मशाल है जो अंधकार में भी मार्ग दर्शाती है विश्वास ही हार जीत असफलता से सफलता की ओर ले जाकर आपकी भाग का निर्माण करता है अतः सकारात्मक सोचें बड़ी छवियां बनाएं बड़ा सोचे और अपने ऊपर विश्वास करें अपनी योग्यताओं क्षमताओं और सामर्थ पर पूर्ण विश्वास करें कर्म की चाबी से ही भाग्य का द्वार खुल सकता है विश्वास करें की सही दिशा में उठाया गया कदम और सही उद्देश्य के लिए किया गया कर्म कभी विफल नहीं होता विश्वास और कर्म दोनों मिलकर इंसान को वही ले जाता है जहां वह जाना चाहता है उसे वही हासिल करवाते हैं जो पाना चाहता है

विश्वास के बिना कोई विचार कभी भी साकार नहीं हो सकता विश्वास ही आत्मविश्वास का रूप धारण करता है किसी भी प्रकार की कल्पना यदि तरीके से की जाये तो वह सफल होती है कल्पनाओं में छवियों का निर्माण तरीके से ही किया जाना चाहिए यही सफलता का राज है यह एहसास इतना गहरा होना चाहिए की जीवन आपको इसके बिना अधूरा लगे

यह ब्रह्मांड बहुत व्यापक है इंसान की सोच से परे है जीवन से पहले और मृत्यु के बाद रहस्य को व्यक्ति जानना चाहता है सदियों से इंसान कुदरत के रहस्य की खोज में लगा है दुनिया की हर चीज वाले इंसान की कल्पनाओं में जन्म लेती है

ओशो का एक सुंदर लेख पड़ा था-” ज्योतिषी नहीं ज्योतिर्मय बनो” अर्थात अंधविश्वासों के अंधेरे को भेद कर उसके पार जाए कर्म करे ज्ञान अर्जित करें दूसरों की मदद करें अपने भीतर छिपी विश्वास की ताकत को पहचाने

व्यक्तित्व विकास के लिए शिक्षा के साथ ज्ञान की आवश्यकता पड़ती है ज्ञान का मतलब हमारे आसपास समाज देश दुनिया में जो कुछ भी घट रहा है उसे समझने परखने की योग्यता ही ज्ञान है ज्ञान असीम है ज्ञान भ्रम दूर करता है कि आप बहुत कुछ जानते हैं ज्ञान एहसास कराता है कि आप कुछ नहीं जानते जबकि जानने को बहुत कुछ शेष है

प्यारे बच्चों प्रभावशाली व्यवहार का सबसे बड़ा सिद्धांत यह है कि खुश रहे खुशियां बांटे किसी भी इंसान के व्यक्तित्व की पहचान उसके विचारों से बनती है दूसरों के विचार जानकर ही हम उनके सोचने के स्तर का अनुमान लगाते हैं विचार सभी में होते हैं वह बीज की भांति प्रत्येक व्यक्ति में छिपे होते हैं कुछ लोग उन्हें सक्रिय बना लेते हैं जो लोग इनका दोहन नहीं करते उनके विचार नष्ट हो जाते हैं

इतिहास इस बात का गवाह है दुनिया के महान विचार को चिंतकों ने इंसान का भाग्य ही बदल कर रख दिया ,विचारों की उर्जा करिश्मे पैदा कर सकती है इंसान की सोच और जीवनशैली बदल सकती है यदि आपके विचार प्रगतिशील है तो आप विनम्र होंगे दूसरे के विचारों का आदर करेंगे विचारों से ही व्यक्ति का चरित्र की झलक मिलती है

मैंने जितना आत्म विश्लेषण से सीखा है उतना किसी और माध्यम से नहीं सीख पाया इसकी मदद से मैं अपनी कमजोरियों आदतों और शंकाओं को जान पाया हूं मैं जीवन में क्या चाहता हूं और क्यों चाहता हूं इसका परिचय भी आत्मचिंतन कराया है इससे मेरे कई भटकाव दूर हुए हैं आत्म चिंतन से ही सफलता का द्वार खोला जा सकता है सफलता कोई मंजिल नहीं सफलता एक आनंद में एहसास है संतुष्टि का दूसरा नाम है सफलता की आपने जो चाहा था वह पा लिया ,सफलता जीवन जीने की एक कला है

हर इंसान के भीतर विकास की अपार संभावनाएं छुपी होती है अपनी क्षमताओं और विश्वास के बल पर हम हर चुनौती का सामना कर सकते हैं

प्यारे बच्चों महाविद्यालय में मूलभूत सुविधाओं की कमी है फिर भी हमारे बच्चे प्रतियोगिता खेलकूद और सांस्कृतिक कार्यक्रम वाद विवाद पठन-पाठन में विश्वविद्यालय स्तर पर सभी परीक्षाओं में अव्वल आते है आप सभी को जानकर खुशी होगी हमारे विद्यालय में नए-नए नवनियुक्त शिक्षकों के आने से बच्चों में खुशी का अनुभव आप सब कर रहे हैं मुझे उम्मीद है आप सभी सकारात्मक सोच रखते हुए अनुशासन में रह कर आप सभी पठन-पाठन का कार्य करेंगे छात्रों के लिए छात्रावास की सुविधा जल्द उपलब्ध करा दिया जाएगा पुस्तकालय मैं छात्रों के बीच आदान- प्रदान जल्द ही ऑनलाइन करा दिया जाएगा ,इस प्रकार महाविद्यालय के सारे फीस ऑनलाइन कर दिया गया है राष्ट्रीय सेवा योजना हमारे शिक्षक और शिक्षिका कार्य कर रहे
धन्यवाद

प्राचार्य
डॉ पुष्प राज गौतम
पीएन कॉलेज परसा सारण

Cultural Activity !

The students of P. N College have shown enormous enthusiasm and excellence in cultural activity. They have made the college and the University extremely proud not only through participation but also with their achievements in the inter-college cultural competition organised by the University and inter-university cultural competition, vis-a-vis, Tarang.

 Apart from that round the year in any cultural programme organised by the college students showcase their multifarious talents with immence enthusiasm in various fields like music, recitation, creative writing, painting, rangoli, quiz and much more. The Principal and college administration leave no stone unturned to facilitate the students and to channelize their zeal in right direction. 

These exposures help to groom the students as socially responsible confident human being.

Awards and Achievements

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